दिल्ली तेरी सीने में आज जल रहे हैं आग
दुखी तेरी आखो तले आँसुओ कि दाग
दिल्ली तु रानी थी, थी सपनों कि सौदागर
प्यारी तेरी पवन में आज फैल रहा है डर
दिल्ली तेरी स्मारकों को पर पत्थर,चले गोली
राजधानी को मिटाने बालों खुन से खेलें होली
दिल्ली तेरी शहर शहर मे जलराहा हे घर
इंसानियत भूलकर सभी चलाये अत्याचार
दिल्ली तेरी गली गली में जमा हो शौक की छाया
भटक रहीं हैं प्यार महब्बत इनसानियत माया
सुकून भी आज चिंतित वह खामोशी से भरी बहार
दिल्ली तेरी जमीन पे आज रची है लाशों के पहाड़